अद्भुद रस कि परिभाषा, अवयव एवं उदाहरण
इस आर्टिकल में आज हम आपको अद्भुद रस के बारे मे बताने जा रहे हैं, आप इस आर्टिकल में अद्भुद रस की परिभाषा तथा अद्भुद रस के अवयव के बारे में उदाहरण सहित पढ़ने वाले हैं, अद्भुद रस, रस का एक महत्वपूर्ण भाग है इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
अद्भुद रस कि परिभाषा
जब भी किसी अनोखे क्रिया कलाप, आश्चर्य चकित वस्तु अथवा किसी आश्चर्य चकित कर देने वाले दृश्य को देखकर ह्रदय में जो आश्चर्य का भाव उत्पन्न होता है उसे अद्भुत रस कहा जाता हैं।
अद्भुत रस का उदाहरण
बिनू पद चलै सुने बिनु काना।
कर बिनु कर्म करै विधि नाना।।
इन पंक्तियों में गोस्वामी तुलसीदास जी कहते है कि वह जो ईश्वर (ब्रह्मा) है विना पैरों के ही चल लेते है, विना कानों के ही सुन लेते हैं। विना करे ही सभी कार्यों को पूर्ण कर लेते हैं तथा सुरु किये विना ही नाना प्रकार के कार्य पूर्ण कर लेते हैं।
अदभुद रस के अवयव
स्थाई भाव :- विस्मय/आश्चर्य
अनुभाव :-
- स्वेद
- स्तम्भ
- आश्चर्यचकित भाव
- रोमांच
संचारी भाव :-
- आवेग
- हर्ष
- वितर्क
- मति
- स्मृति
- त्रास
आलंबन :-
- विचित्र वस्तु
- अलौकिक
- घटना
- व्यक्ति
- दृश्य
उद्दीपन :- आलम्बन की अद्भुत चेष्टाएँ, अलौकिक वस्तुओ का दर्शन एवं उसका श्रवण वर्णन।
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