काव्यलिंग अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण


काव्यलिंग अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरणकाव्यलिंग अलंकार अर्थालंकर का भेद होता है, इस अलंकार में किसी बात का युक्ति के माध्यम से समर्थन किया जाता है, अब आप यहां पर का काव्यलिंग अलंकार की परिभाषा व उदाहरण के बारे में जानेंगे।

काव्यलिंग अलंकार की परिभाषा 

जहां पर किसी बात का समर्थन करने के लिए युक्ति का प्रयोग किया जाता है वहां पर काव्य अलंकार होता है। अर्थात जब किसी बात हुई सहमति के लिए कोई कारण अथवा युक्ति का प्रयोग किया जाए तथा बिना किसी व्यक्ति के बाद अधूरा हो तो वहां पर काव्यलिंग अलंकार होता है।

काव्यलिंग अलंकार के उदाहरण

कनक कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय। 

उहि खाए बौरात नर, इहि पाए बौराय।।

उपर्युक्त दिए गए उदाहरण में बताया गया है कि सोना धतूरे से भी अधिक नशा देता है क्योंकि सूरह के खाने से नशा होता है तथा सोने के मात्र प्राप्त हो जाने से नशा हो जाता है। युक्ति का प्रयोग करके इस बारे में समर्थन किया गया है अतः यह काव्यलिंग अलंकार का उदाहरण होगा।

आज के इस आर्टिकल में हमने आपको काव्यलिंग अलंकार के बारे में उदाहरण सहित समस्त जानकारी प्रदान की है यदि आपको इस लेख में दी गई जानकारी पसन्द आयी हो तो इसे आगे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

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