दृष्टान्त अलंकार की परिभाषा और उदाहरण


दृष्टान्त अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आने वाला एक महत्वपूर्ण अलंकार है इस अलंकार को विम्ब प्रतिविम्ब का अलंकार भी कहते हैं, इस लेख में हम दृष्टान्त अलंकार की परिभाषा तथा दृष्टान्त अलंकार के उदाहरण के बारे मे पड़ने वाले हैं। इस अलंकार से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

दृष्टान्त अलंकार की परिभाषा

ऐसा अलंकार जिसमे पूर्व समय मे कोई कथन बोलकर उस कथन की पुष्टि की जाती है अर्थात दो विशेष अथवा दो सामान्य वाक्यो में बिम्ब प्रतिबिम्ब का भाव हो वहाँ पर दृष्टान्त अलंकार होता है।

इस अलंकार में पहले कोई बात कही जाती है तथा उसके बाद दूसरे वाक्य में उस बात की पुष्टि की जाती है। दृष्टान्त अलंकार उभयालंकार का भी एक अंग है।

दृष्टान्त अलंकार के उदाहरण

एक म्यान में दो तलवारें, कभी नहीं रह सकती हैं।

तजि आसा तन प्रान की, दीपहिं मिलत पतंग।

दरसावत सब नरन को, परम प्रेम को ढंग।।

कन कन जोरै मन जुरै, खावत निबरे सोय।

बूँद-बूँद तें घट भरै, टपकत रीतो होय।।

उपर्युक्त दिए गए उदाहरणों में दो चरणों मे बात कही गयी है जिसमे पहले चरण में कोई बात की जा रही है तथा दूसरे चरण में उस बात को पूर्ण अथवा उस बात की पुष्टि की जा रही है।

इस आर्टिकल में आपको दृष्टान्त अलंकार के बारे में उदाहरण सहित सम्पूर्ण जानकारी दी गई है यदि आपको इस लेख में दी गई जानकारी पसन्द आयी हो तो इसे आगे जरूर शेयर करें।

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