पद्य काव्य की परिभाषा एवं उदाहरण


आज के इस आर्टिकल में आप पद्य काव्य के बारे में पढ़ने जा रहे हैं, यह काव्य का एक प्रमुख भाग होता है, इस लेख में आप पद्य काव्य की परिभाषा एवं उदाहरण के बारे में पढ़ेगें तो इस आर्टिकल को पूरा तक जरूर पढ़ें।

पद्य काव्य की परिभाषा

ऐसा लेखन जिसके अंतर्गत काव्य, कबिता, भजन, गीत इत्यादि को लिखा जाता है, वह पद्य काव्य कहलाते हैं।

पद्य के द्वारा दोहा, चौपाई, छंद इत्यादि की रचना की जाती है।

इसके प्रत्येक लेखन में संगीत की उपयोगिता होती है तथा इसमें भाव एवं कल्पना की प्रधानता होती है।

छंद, ताल, लुक, लय पद्य के प्रमुख उपादान होते हैं।

पद्य लेखन गद्य लेखन के मुकाबले काफी पुराना है तथा वेद एवं पुराणों में पद्य लेखन का उपयोग ही किया गया था।

पद्य काव्य के उदाहरण

वेद, पुराण, रामायण, महाभारत, शास्त्र इत्यादि सभी पद्य लेखन के उदाहरण हैं।

गद्य एवं पद्य में अन्तर

गद्य पद्य
1. गद्य में लय नहीं पाई जाती है। 1. पद्य में लय पाई जाती है अर्थात इसको सुरों के साथ गया सकते हैं।
2. गद्य के द्वारा हम अपने विचारों को प्रकट करते हैं। 2. पद्य के द्वारा हम अपने मन की भावनाओं को प्रकट करते हैं।
3. अलंकार का प्रयोग गद्य में किया जाता है। 3. जबकि पद्य में अलंकार का प्रयोग नहीं किया जाता है।
4. गद्य को पढ़ना तथा समझना काफी आसान होता है। 4. पद्य को पढ़ना तथा समझना काफी मुश्किल होता है।
5. गद्य के अंतर्गत उपन्यास, कहानी, नाटक, व्यंग, निबन्ध इत्यादि की रचना की जाती है। 5. पद्य के अंतर्गत गीत, कविता इत्यादि की रचना की जाती है।

इस लेख में आपको पद्य काव्य के बारे में जानकारी दी है यदि आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे आगे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

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