मुक्त छंद की परिभाषा और उदाहरण
हिंदी व्याकरण में अक्षरों की संख्या, क्रम, गणना, मात्रा के हिसाब से जो काव्य रचना की जाती है उसे छन्द कहते है तथा छन्द का प्रयोग काव्य को आकर्षक एव सुन्दर बनाने के लिए किया जाता है अब हम छन्द के महत्वपूर्ण प्रकार मुक्त छन्द के बारे में पढ़ने वाले है। तो मुक्त छन्द के बारे में सम्पूर्ण जानकारी के लिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।
मुक्त छंद की परिभाषा
काव्य में प्रयोग होने वाला ऐसा छन्द जिसमे वर्णो तथा मात्राओं का कोई बंधन नहीं होता है, ऐसे छन्द को मुक्त छन्द कहते हैं। हिंदी व्याकरण के अनुसार जिन छन्दों को स्वतंत्र रूप से लिखा जाता है उन्हें मुक्त छन्द कहते हैं।
चरणों की असमान, अनियमित, स्वच्छंद गति और भाव के अनुकूल यति विधान मुक्त छन्द की प्रमुख विशेषताएं हैं। इस छन्द में न मात्राओं की गिनती की जाती है और न ही वर्णों की गिनती की जाती है।
मुक्त छंद के उदाहरण
1. आज नदी बिलकुल उदास थी।
सोयी थी अपने पानी में,
उसके दर्पण पर –
बादल का वस्त्र पड़ा था।
मैंने उसे नहीं जगाया,
दबे पाँव घर वापस आया।
2. चितकबरे चाँद को छेड़ो मत
शकुंतला-लालित-मृगछौना-सा अलबेला है।
प्रणय के प्रथम चुंबन-सा
लुके-छिपे फेंके इशारे-सा कितना भोला है।
उपर्युक्त दिए गए यह काव्य पूर्ण रूप से मात्राओ तथा वर्णो से स्वतंत्र हैं अतः यह मुक्त छन्द के उदाहरण होंगे।
इस लेख में आपको मुक्त छन्द के बारे में पूरी जानकारी दी गई है यदि यह जानकारी आपको पसंद आई हो तो इसे आगे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।