विशेषोक्ति अलंकार की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण


विशेषोक्ति अलंकार, अर्थालंकार का एक भेद होता है, विशेष युक्ति शब्द दो शब्दों विशेष और युक्ति से मिलकर बना है। इस लेख में आप विशेषोक्ति अलंकार की परिभाषा तथा उदाहरण के बारे में पढ़ने जा रहे हैं। इस अलंकार से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी आपको यहाँ पर मिल जाएगी।

विशेषोक्ति अलंकार की परिभाषा

जहाँ पर पर्याप्त कारणों के होते हुए भी कार्य सम्पूर्ण न हो अर्थात कार्य होने के सम्पूर्ण कारण होने पर भी उस कार्य को सम्पन्न ना किया जाए तो वहाँ पर विशेषोक्ति अलंकार होता है। यह अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है।

विशेषोक्ति अलंकार के उदाहरण

सोवत जागत सपन बस, रस रिस चैन कुचैन। 

सुरति श्याम घन की सुरति, बिसराये बिसरै न।।

उपर्युक्त दिए गए वाक्य में भुलाने के कारण के होते हुए भी भुला पाना कठिन हो गया तथा कारण के होते हुए भी कार्य सम्पन्न नही हुआ अतः यह विशेषोक्ति अलंकार का उदाहरण होगा।

नीर भरे निसिदिन रहें तऊ न प्यास बुझय।

उपरोक्त दिए गए इस काव्य में प्यास बुझाने के लिए नीर अथवा पानी उपस्थित है परन्तु प्यास बुझाने का कार्य सम्पन्न नही हो पा रहा है अतः विशेषोक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगा।

इस लेख में हमने आपको विशेषोक्ति अलंकार के बारे में उदाहरण सहित समस्त जानकारी दी है यदि आपको इस लेख में दी गई जानकारी पसन्द आयी हो तो इसे आगे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

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