हरिगीतिका छन्द की परिभाषा और उदाहरण


हरिगीतिका छन्द क्या होता है, अब हम हरिगीतिका छन्द के बारे में पड़ने वाले हैं। हरिगीतिका छन्द चार चरण वाला एक सम मात्रिक छन्द होता है, इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी के लिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

हरिगीतिका छन्द की परिभाषा

हरिगीतिका छन्द चार चरण वाला एक सम मात्रिक छन्द होता है चूंकि इसके सभी चरणों मे समान मात्राएँ होती हैं इसलिए इसे सम मात्रिक छन्द कहते हैं। हरिगीतिका छन्द के प्रत्येक चरण में 16 तथा 12 के क्रम में कुल 28 मात्राएँ होती हैं।

16 तथा 12 मात्राओ के बाद यति (विराम) और चरण के अंत मे लघु तथा दीर्घ (गुरु) के होने की संभावना होती है।

हरिगीतिका छन्द के उदाहरण

मेरे इस जीवन की है तू, सरस साधना कविता।

मेरे तरु की तू कुसुमित , प्रिय कल्पना लतिका।

मधुमय मेरे जीवन की प्रिय,है तू कल कामिनी।

मेरे कुंज कुटीर द्वार की, कोमल चरण-गामिनी।”

श्री कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे।

सब शोक अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे।

संसार देखे अब हमारे, शत्रु रण मे म्रत पड़े।

करते हुए यह घोषणा वे, हो गये उठकर खड़े।।“

उपर्युक्त दिए गए काव्य में चार चरण हैं तथा प्रत्येक चरण 16 तथा 12 के अनुपात में मात्राएँ है तथा 12 और 16 मात्राओ के बाद यति ( विराम ) होता है। अतः यह हरिगीतिका छन्द का उदाहरण है।

आज के इस आर्टिकल में हमने आपको हरिगीतिका छन्द के बारे में उदाहरण सहित पूरी जानकारी दी है यदि आपको इस लेख में दी गई जानकारी पसन्द आयी हो तो इसे आगे जरूर शेयर करें।

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